Our soul searches for a friend on whom we can rely upon, whom we can reckon for supporting us even in adversaries. A true companion forever.......... and believe me this is not sign of weakness............it is an ultimate desire of many.
चाहा था तुम आ जाते पास मेरे,
कहता तुम को अपना, बनते तुम मित्र मेरे,
समझते मेरी पीडा को,
सांत्वना देते ....
करते तुम मुझसे बात,
थका हुआ, निढाल सा बैठा था मैं ,
घूम घरों से बोझिल पग में ,
होकर अपमानित सा .......
द्रष्ट हुआ था मुझको तब एक “ज्योति पुंज”,
तुममें, तुमसा .......
दिखा सकता था राह जो,
बन सकता था पथ- प्रदर्शक मेरा!
तुम आये, छा गये मस्तिष्क पर,
यकायक चले गये .......
ज्ञात हुआ तब,
समझा मैंनें जिसको ज्योतिपुंज,
था वह एक “पुच्छ्ल तारा”........
राहुल (1993)